मंगलवार, 16 अगस्त 2011

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1.   हमारा देश अब गरीब अमीर के आधार पर भारत इण्डिया में स्पष्ट रूप में विकसित हो रहा हैं। अमीर लोग नोयडा में फारमूला वन रेस ट्रेक के साथ प्रगति पर हैं। तो गरीब लोग अमीरों की राजधानी दिल्ली में एम्स यानी सरकारी अस्पताल के शौचालय में बिस्तर लगा रहे हैं। ऐसा लगता है मानो देश में विकास के नाम पर लूटपाट मची हुयी है।
2.   अमेरिका व यूरोप प्रायोजित वित्तीय खलबली से भारत बच जायेगा, क्योंकि एफडीआर्इ में रिकार्ड बढ़ोतरी हुर्इ हैं। हमारी बचतें भी 25 फीसदी से ज्यादा है। अमेरिका की तरह उधारी पर उपभोग नहीं करते हैं। ढ़ांचागत इण्डस्ट्री क्षेत्रों को उत्प्रेरककारी राहत पैकेज जारी है। देश में सोने का भाव व भण्डार रिकार्ड स्तर पर है। कृषि पैदावार व खाद्धान्नों का बम्पर स्टाक भी उच्च स्तर पर है। दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों की गति तेज है। मु्द्रास्फीति भी एक अंक में हैं। पीएम, एफएम, आरबीआर्इ व पीसीआर्इ पूरी वित्तीय टीम माैजूद है
3.   अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर पेशेवर अभिजन वर्ग के लोग जिनकी अपनी अभिव्यक्ति आरक्षण विरोधी रही है ऐसे में सामाजिक मुद्दे पर इस फिल्म का उद्देश्य न्यायपूर्ण व सामाजिक सरोकार वाला कैसे हो सकता है? क्या आरक्षण फिल्म से जुड़े किसी कलाकार व निर्माताओं की सामाजिक पृष्ठभूमि आरक्षण का अधिकार रखती हैं? क्या इन्हें भारतीय राजनीति में आरक्षण के अलावा कोर्इ मुद्दा नहीं मिलाशायद बेरोजगारी, मंहगार्इ व करप्शन जैसी समस्याओं से युवाओं का ध्यान हटाने व गुमराह करना ही मकसद है इस फिल्म का। फिल्म पर प्रतिबंध लगाना तो गलत राजनीति करना है.
4.   आशंकाऔ से घिरी सरकार तानाशाही रवैया दिखाती हैं। जिससे लोकतंत्र शर्मसार होता है। संस्थायें पंगु बन जाती है और जनता आन्दोलित हो जाती है जैसा 1975 में हुआ था। वह सब कुछ इस समय हो रहा हैं। लोकतंत्र में आजादी व अधिकार क्या है? यह सब जनता को सरकार नहीं बता सकती है। क्या कानून व्यवस्था जन लोकपाल कानून की मांग से उपर है? लोकतंत्र में जन भावनाओं व जनसंवेदनाओं को दबाने का परिणाम अव्यवस्था के रूप में होता है। सरकार खुल कर जनता व संविधान का अपमान कर रही है। अन्ना हजारे की गिरफ्तारी व रिहा से जन संघर्ष को विश्वास व बल मिला है और साथ में सरकार के कुछ मंत्रियों की हठधर्मिता व हतासा सिद्ध हुयी है।

5.   स्वतंत्रता दिवस…
रास्ते रोक कर,
गेट व फाटक बंद करके,
बांस व बलियां लगा कर
मनायी जा रही है
आजादी रूठ गयी है।
फूल मालायें लगा कर
मिठार्इयो से मनायी जा रही है
रूठ गयी है आजादी
गीत गाना गा-गा कर
डोल-ड्रृम बजा-बजा कर
पीटी-डांस कर भाषण देकर
मनायी जा रही है।
आजादी रूठ गयी है।
परेड करके, डंडे भांजकर
बंदूके तान, टेंक दौड़ा कर
मिसाइल व तोप लगा कर
मनायी जा रही है
रूठ गयी है आजादी।
इस बार नहीं मानी
अगली बार फिर मनायेंगें।

2 टिप्‍पणियां:

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