शुक्रवार, 25 जुलाई 2025

My views on Journalism

पत्रकारिता एक कला है। कला जो एक सेवा है; पेशा है; मनोरंजन भी है; शौकिया धंधा भी है। जिस प्रकार से साहित्य समाज का दर्पण है उसी प्रकार पत्रकारिता हमारे जीवन की गतिविधियों व क्रिया-कलापों का प्रतिबिम्ब है। 20 वीं शताब्दी में साहित्य व पत्रकारिता में गहरा सम्बन्ध रहा है। परन्तु 21 वीं शताब्दी में इन दोेनों के सम्बन्धों का ताना-बाना काफी ढ़ीला हो गया हैं। अब न तो पत्रकार साहित्यकार रहे और न ही साहित्यकार पत्रकार रहे। 
भारत कहने को तो गांवों में बसता है लेकिन दिखाई देता है इण्डिया जो मीडिया के कवरेज, ज्ञान-विज्ञान व मशीन-तकनीक के कलेवर में कांच, कंकरीड व प्लास्टिक के कत्रिम इमारतों के कवर की चमक व दमक लिए हुए हैं। यह सब गांवों में कम पहुंचा हैं। गावों में खेत-जंगल हैं; पशु-पक्षी है; प्रकृति-पर्यावरण है; कला व ज्ञान है और कलाकारी-कारीगरी हैं। सब कुछ तो समेट रखा है इस ग्रामीण भारत ने। लेकिन ग्रामीण व कृषि पत्रकार व पत्रकारिता न के बराबर है। ऐसा क्यों? वजह साफ है आज पत्रकारिता व पत्रकार गांवों व आम आदमी से दूर शहरी व बाजार की सुविधाओं के साये में रहने की आदी हो गयी है। 

डॉक्टरों की तरह उनकी भी रूचि व केरियर गावों में नजर नहीं आता हैं। गावों से खबरें बनती है व छपती भी है; लेकिन पत्रकारिता का दर्शन व आधार नहीं बन पाती है। क्या गांवों में जलवायु परिवर्तन व भूमण्डलीकरण के प्रभाव नहीं पड़ रहे है? क्या वहां सांस्कृतिक व धार्मिक गतिविधियां नहीं होती है? वहां रोज ही मेलें व समारोह होते हैं। क्या सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक परिवर्तनों के संकेत व संदेश गावों से नहीं आते है? हमारी पत्रकारिता इन सब को या तो समझ नहीं पायी या फिर करने में असमर्थ है। किसानों व पशुपालकों और मौसम व प्राकृतिक आपदाओं के बीच में पत्रकारिता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। पत्रकारिता के लिये अरबन इण्डिया व मार्केट ही नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत व कृषि क्षेत्र को भी महत्वपूर्ण मानता है। इसके लिए पत्रकार की ग्रामीण पृष्ठभूमि आवश्यक व महत्वपूर्ण है। 
पत्रकारिता मेरी रूचि ही नहीं, बल्कि यह मेरे लिए सेवा भी है। पत्रकारिता के लिए व्यक्ति को ग्रामीण समाजों, व्यवस्थाओं व वातावरण का व्यवहारिक ज्ञान होना चाहिए। एक किसान के लिए पत्रकारिता उसी तरह से है जैसे उसके लिए किसानी का होना। अगर आप समाज के लिए सेवा करना चाहते है तो इसके लिये पत्रकारिता एक महत्वपूर्ण जरिया है। गावों में लोग अखबार खबरों के लिये पढ़ते है; खबरें भी दो प्रकार की होती है...एक तो वह जिसे पढ़ कर भूला दिया जाता है और दूसरी वह खबर जो प्रभावित करती है। आजकल दूसरी खबरों की पत्रकारिता बहुत कम हो पा रही हैं।

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